लंदन में दंगे की वजह क्या है

लेस्टर के बेलग्रेव में टीवी पर मैच चल रहा था, देखनेवालों में भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्क़ के लोग थे, अचानक ही किसी बात पर तकरार हुई, फिर कुछ लोगों ने मिलकर एक शख़्स की पिटाई कर दी उसका टी-शर्ट फाड़ दिया, घटना का वीडियो भी बना इस वीडियो में पाकिस्तान-विरोधी नारे लगाए जा रहे थे फिर ये वीडियो लोकल वॉट्सऐप ग्रुप्स में वायरल हो गया ।
भारत पाकिस्तान के बीच मैचों में अक्सर इस तरह का दबाव मैदान के बाहर भी देखा जा सकता है लेकिन ऐसा किसी यूरोपीय देश में होना सामान्य घटना नहीं है ।
स्थानीय न्यूज़ वेबसाइट लेस्टरशायर लाइव के हवाले से ये खबर दी गयी की मारपीट की घटना के बाद अधिकारियों ने चेतावनी जारी की. लोगों से कहा गया कि वे मैच के बाद बेलग्रेव रोड के आस-पास जाने से बचें ।
28 अगस्त का मामला तो शांत हो गया था लेकिन वो अपने पीछे एक चिनगारी छोड़ गया था. ये चिनगारी सोशल मीडिया और वॉट्सऐप ग्रुप्स में भड़क रही थी दोनों पक्ष एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा रहे थे धीरे-धीरे इस तकरार का फ़ोकस धर्म पर आ गया. फिर दोनों तरफ़ के लोग लेस्टर में अलग-अलग हिस्सों में इकट्ठा होने लगे । वे एक-दूसरे के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करते. रिपोर्ट्स हैं कि बाहर से भी कई लोग लेस्टर आए. उनका इरादा हिंसा को भड़काना था ।
ब्रिटेन की हिंदू कम्युनिटी के वॉट्सऐप ग्रुप्स में एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुई इस वीडियो में एक आदमी हिंदुओं की बहुलता वाले इलाके में तोड़-फोड़ करता नज़र आ रहा था, उसके हाथ में चाकू भी था. उसी वीडिया में ये भी दिखा कि उसके साथ आए दूसरे व्यक्ति ने एक घर में लगा “भगवा झंडा” निकालकर फेंक दिया ।
इस वीडियो से लेस्टर के हिंदुओं में ये संदेश गया कि कुछ मुस्लिम गैंग्स जान-बूझकर उनके समुदाय को निशाना बना रहे हैं इसे रोकने के लिए हमें एकजुट होना होगा इसके बाद लेस्टर के हिंदू गुटबाजी करने लगे । जब ये बात मुस्लिमों को पता चली, तब उन्होंने भी ऐसा ही किया. मुस्लिम पक्ष के कुछ कथित एक्टिविस्ट सोशल मीडिया में उकसावे वाली पोस्ट लिखने लगे. इसमें सिखों का भी ज़िक्र था. इन सोशल मीडिया पोस्ट्स में मुस्लिमों और सिखों को साथ बताया गया ।
दोनों पक्षों की तरफ से भड़काऊ और नफ़रती भाषणों का सिलसिला जारी रहा, पुलिस ने शुरुआत में तेज़ी से कार्रवाई की. कई लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया । 12 सितंबर तक मामला शांत पड़ चुका था. तब पुलिस ने अपना ऑपरेशन बंद कर दिया ।
कुछ दिनों तक तो दिनचर्या पटरी पर चलती रही, मगर 17 सितंबर की शाम लेस्टर के पुलिस हेडक़्वार्टर में लगे टेलीफ़ोन की घंटियां अचानक से घनघनाने लगीं । पुलिस को ख़बर मिली की ईस्ट लेस्टर में दो सौ से अधिक लोग इकट्ठा हो रहे हैं, इस जमावड़े की पहले से कोई जानकारी नहीं थी. जब पुलिस मौके पर पहुंची, तब वहां माहौल बिगड़ने लगा था. लोग सांप्रदायिक नारे लगा रहे थे. कईयों के हाथ में शीशे की बोतलें थीं । वे बोतलों से एक-दूसरे पर हमला कर रहे थे. कारों में तोड़फोड़ भी की गई. जो वीडियोज़ सामने आए हैं, उनमें हाथापाई और गुस्से से भरी बहस देखी और सुनी जा सकती है, एक वीडियो में एक शख़्स मंदिर के ऊपर चढ़कर झंडा फाड़ता दिख रहा है ।
ये तनाव 18 सितंबर को भी जारी रहा फिर लेस्टर में एक्स्ट्रा पुलिस फ़ोर्स की तैनाती की गई. क़्वीन एलिज़ाबेथ के अंतिम-संस्कार में शामिल पुलिसवालों को भी वापस बुलाया गया, पूरी तैयारी है कि ये मामला और ना बिगड़े, अभी तक कुल 47 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. हिंसा में शामिल एक 20 साल के शख़्स को दस महीने की सज़ा भी सुनाई गई है. अभी ये पता नहीं चला है कि उसका अपराध क्या था लेकिन इतना स्पष्ट है कि उसे हालिया मामले में ही जेल भेजा गया है ।
यूके में भारत के उच्चायोग ने हिंसा पर चिंता जताई है, उच्चायोग ने बयान जारी कर हिंसा रोकने और प्रभावित लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की है।
19 और 20 सितंबर को हालात सामान्य हुए हैं. हिंदुओं और मुस्लिमों का एक बड़ा धड़ा हिंसा से चिंतित है । फ़ेडरेशन ऑफ़ मुस्लिम ऑर्गेनाइज़ेशंस ने बयान जारी कर शांति बरतने की अपील की है ।

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