बायजू इतनी ऊंचाई से पतन की ओर कैसे आया

साल 2013 दिल्ली का इंदिरा गाँधी इंडोर स्टेडियम 14,000 लोगों से खचाखच भरा हुआ था। सरप्राइजिंगली ये लोग यहाँ किसी सिंगर या बॉलीवुड स्टार के लिए नहीं आए थे बल्कि ये लोग यहाँ मैथ्स पढ़ने आए थे और इन्हें पढ़ाने वाले टीचर थे। रविंद्रन एक ऐसे करिस्मैटिक टीचर जिन्होंने टीचिंग के आर्ट को मास्टर कर लिया था फ्यूचर में रविंद्रन अपनी इसी मास्ट्री के बेसिस पे इंडिया की सबसे बड़ी अटैक कंपनी बाइजूस बनाने वाले थे। और सडली खुद अपनी आँखों के सामने उसी कंपनी का डाउनफॉल भी देखने वाले थे। लेकिन क्या है बाइजूस के राइस एंड फॉल की पूरी कहानी? रविन्द्रन का बर्थ 1980 में केरला में हुआ था। उनके पेरेंट्स एक लोकल गवर्नमेंट स्कूल में टीचर्स थे। रविन्द्रन को बचपन से ही दो चीजों से गहरा लगाव था। स्पोर्ट्स और मैथेमेटिक्स। एटीएस और नाइनटीज़ की हर इंडियन मिडिल क्लास फैम्ली की तरह उनकी फैम्ली ने भी उन्हें दो करियर चॉइसेस दी। डॉक्टर या इंजीनियर रविंद्रन ने इंजीनियरिंग चुनी। ईयर टू थाउज़न्ड में उन्होंने इंजीनियरिंग कंप्लीट की और टू थाउज़न्ड वॅन में एक शिपिंग फर्म में नौकरी करने लगे। लेकिन 2 साल बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने रविंद्रन की लाइफ को एक नया डायरेक्शन दिया। उनके कुछ फ्रेन्डस आई ए एम एस में अडमिशन लेने के लिए कैट एग्ज़ैम को क्रॅक करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने रविंद्रन की हेल्प मांगी। ना केवल रविंद्रन ने अपने दोस्तों को पढ़ाया पर साथ ही साथ खुद भी कैट एग्ज़ैम दे दिया। चार दोस्तों ने कैट तो क्लियर कर ही लिया, साथ में रविंद्रन ने भी कैट में स्कोर किए पूरे 100 परसेंटाइल। लेकिन उन्होंने कोई भी आई ए एम जॉइन नहीं किया और अपनी जॉब कंटिन्यू रखी। टू थाउज़न्ड फाइव में उन्होंने फिर से कैट एग्ज़ैम दिया और फिर से 100 परसेंटाइल स्कोर किए। जिसके बाद चारों तरफ कैट तोपर के नाम से पॉपुलर हो गए और उनसे पढ़ने के लिए स्टूडेंट्स की लाइन लग गई। कुछ ही टाइम में रविंद्रन को रियलाइज हो गया कि उन्हें टीचिंग बहुत पसंद है और वो अपनी पूरी लाइफ यही करना चाहते हैं। टू थाउज़न्ड सिक्स में उन्होंने एक छोटी सी क्लास से शुरुआत की। क्लासेज फॉर कैट की। लेकिन बहुत ही जल्द ये क्लासेज एक ऑडिटोरियम में शिफ्ट हो गई जहाँ वो एक साथ 1200 स्टूडेंट्स को पढ़ाने लगे की क्लासेज प्रीमियम मॉडल पे चलती थी, पहली क्लास फ्री होती थी और सेकंड क्लास ऑन वर्ड्स पैसे लगते थे। अब रवींद्रन का टीचिंग स्टाइल काफी प्रैक्टिकल था। वो मार्क्स से ज्यादा कॉन्सेप्टुअल लर्निंग पे फोकस करते थे। जिन स्टूडेंट्स को बचपन से रट्टा मारना सिखाया गया था, उनके लिए रविंद्रन की ये एप्रोच काफी रेवोल्यूशनरी थी। इसीलिए उनके फ्री क्लासेज लेने वाले 10 में से नौ बच्चे उनकी पेय्ड क्लासेज के लिए एनरोल कर लेते थे। इस सक्सेस को देखते हुए रवींद्रन ने इस मॉडल को चार शहर बेंगलुरु, मुंबई, पुणे और चेन्नई में एक्सपैंड कर दिया। इन्हीं क्लासेज के दौरान उनकी मुलाकात कई टेलेन्टेड स्टूडेंट्स और अपनी फ्यूचर वाइफ दिव्या गोकुलनाथ से हुई। इनमे से कुछ स्टूडेंट्स और इवन दिव्या आगे चलके ब्य जूस की पेरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के को फाउंडर्स बने और कुछ स्टूडेंट्स अर्ली एम्पलॉईस बने टू थाउज़न्ड नाइन तक रविंद्रन ने बाईजूस क्लासेज को नौ शहरों में एक्सपैंड कर दिया था। दिन रात काम करते थे और हर हफ्ते हर शहर में क्लासेज लेते थे। ट्रैवलिंग के दौरान वो अपने कॅन्टेंट को ज्यादा अक्सेसबल और एंगेजिंग बनाने पे काम करते थे। उनकी हर क्लास में स्टूडेंट्स इतने ज्यादा होते थे की वहाँ डॉब्टस पूछना पॉसिबल नहीं था। इसीलिए रविंद्र ने अपने कॅन्टेंट को इस तरह डिज़ैन किया था की स्टूडेंट के हर पॉसिबल डाउट का ऑसर उसे पहले ही मिल जाए। उनकी कड़ी मेहनत के कारण देखते ही देखते ब्य जुइस क्लासेज की डिमॅंड कई और शहरों से आने लगी। लेकिन रविंद्रन के लिए इन सभी शहरों में फिज़िकली प्रेसेंट होना पॉसिबल नहीं था और वो 24/7 काम करके थक भी चूके थे और इसीलिए रविंद्र ने बाईजू उसको डिजिटाइज करने का फैसला लिया।
टू थाउज़न्ड नाइन में उन्होंने वी सेट यानी वेरी स्मॉल तमिलनाल नाम की, सटेलाइट बेस्ड ब्रॉडकास्टिंग टेक्नोलॉजी यूज़ की और अपने लेक्चर्स को 45 सिटीज़ में ब्रॉडकास्ट किया। इस टेक्नोलॉजी शिफ्ट के साथ वो एक बहुत बड़ी अटैक कंपनी की नींव रख चूके थे। टू थाउज़न्ड 11 में और एक्सपैंड करने के लिए उन्होंने थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड को एस्टब्लिश किया। पैशन टीचर्स की एक टीम तैयार की और सबसे इम्पोर्टेन्ट ब्य जुइस ने स्कूल ट्यूशन सेगमेंट में एंट्री ले ली। उस समय इंडिया में करीब 25,00,00,000 स्कूल गोइंग स्टूडेंट्स थे और रविंद्रन को ये समझ आ गया था की अगर उन्हें सब तक पहुंचना है तो उन्हें एक मोबाइल ऍप लॉन्च करना होगा। टू थाउज़न्ड 13 में ब्य जुइस ने मणिपाल ग्रुप से 26% इक्विटी के बदले 50 क्रोर्स की फंडिंग उठाई और साथ ही साथ अपने मोबाइल ऍप को डेवलॅप करना चालू कर दिया। ने देखा की हर स्टूडेंट की लर्निंग एप्रोच और स्पीड डिफरेंट होती है। कुछ स्टूडेंट्स को वीडियो से बेटर समझ में आता है, कुछ को टेक्स्ट से और कुछ को प्रैक्टिकल ऐप्लिकेशॅन से किसी ने ब्य जुइस दे इस सारी एप्रोच अपने ऍप में डाल दी। औरतों और स्टूडेंट्स जीस स्पेस पर कंफर्टब्ल थे, उस स्पेस पे लेसन्स ले सकते थे। पता था की स्टूडेंट्स ऑलरेडी फ़ोन पे गेम्स और मूवीज़ पे काफी टाइम स्पेंड करते हैं। इसका मतलब स्टूडेंट्स का ध्यान पढ़ाई में तभी आएगा जब एजुकेशनल कॅन्टेंट की क्वालिटी गेम्स और एंटरटेनमेंट कॅन्टेंट से सिमिलर हो। इसीलिए ब्य जुइस ने एक्स्पर्ट, टीचर्स, मोशन ग्राफिक्स आर्टिस्ट थ्री डी डिजैनर्स और इवन प्रोफेशनल मुसिशियस को हैयर किया। अपने कॅन्टेंट को नेक्स्ट लेवल पे ले जाने के लिए उन्होंने अनीमेशन्स का यूज़ करके एजुकेशनल कॅन्टेंट को फन और एंगेजिंग बना दिया। साथ ही साथ कॉन्सेप्टस को समझाने के लिए उन्होंने रियल लाइफ एग्ज़ैम्पल का यूज़ किया। फॉर एग्ज़ैम्पल प्रोजेक्टाइल मोशन को एक्सप्लेन करने के लिए उन्होंने क्रिकेट का एग्ज़ैम्पल लिया। करोड़ों इन्वेस्टमेंट और सालों की मेहनत के बाद फाइनली टू थाउज़न्ड 15 में लॉन्च हुआ। लर्निंग ऍप ऍप के अलावा बाई जूस, टैबलेट्स और एस डी कार्ड्स में भी प्रीलोडेड कोर्सस सेल करता था। इन दोनों ही प्रोडक्ट्स के लॉन्च होते ही कस्टमर्स ने बहुत अच्छा रिस्पांस दिया और इसे देखते हुए जून 2 थाउज़न्ड 15 में सिकोया ने बाइजू में 25 मिलियन डॉलर्स लगाए और टू थाउज़न्ड 16 में मार्क जुकरबर्ग की ऑर्गेनाइजेशन ने 50 मिलियन डॉलर्स इन्वेस्ट किए।
करोड़ों की फंडिंग के बाद ब्य जुइस का अब केवल एक एम था। सेल्स ये कई 100 फ्रेश इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स को हैयर किया और एक एग्रेसिव सेल्स टीम बनाई। इनकी सेल्स प्रोसेसर काफी क्लेवर थी। इसकी शुरुआत होती थी बाइजूस के टी वि ऐड से। पेरेंट्स बाइजूस का ऐड देखते थे और बाइजूस का ऍप डाउंलोड कर लेते थे। उसके कुछ दिन बाद बाइजूस का एक सेल्समैन उन्हें कॉल करता था और उनके साथ एक इन पर्सन कौँन्सेलिंग सेशन बुक कर लेता था। कौँन्सेलिंग सेशन के दौरान सेल्समैन सबसे पहले बच्चे से उसके इन्ट्रेस्ट और एम्बिशन्स के बारे में पूछ के उससे एक पर्सनल बांड एक रेपो बिल्ड कर लेता था। उसके बाद बच्चे से कुछ ऐसे क्वेश्चन्स पूछे जाते थे जिसके आंसर्स दे पाए। जैसे एक कामन क्वेश्चन था की एक सर्किल में कितने पॉइंट्स होते है। ज्यादातर बच्चे इसका ऑसर नहीं दे पाते थे और यही तो उसका सेल्समैन चाहता था। फिर सेल्समैन अपने टैबलेट पे रवींद्रन की एक है क्वालिटी वीडियो दिखाता था, जिसमें वो एक्सप्लेन करते हैं कि एक सर्किल में पॉइंट्स होते हैं। इसके बाद पेरेंट्स से एक सिंपल क्वेश्चन पूछा जाता था अगर आपका बच्चा इतने बेसिक कॉन्सेप्ट का ऑसर नहीं दे पा रहा तो वो बोर्ड्स और उसके बाद के कॉंमपिटेटिव एग्ज़ैम्स में कैसे परफॉर्म करेगा? इस क्वेश्चन के बाद पेरेंट्स अपने बच्चे के फ्यूचर को लेके गिल्ट और नर्वस महसूस करते थे। पेरेंट्स के इसी फीलिंग को एक्सप्लेन करते हुए सेल्समैन लर्निंग ऍप को एस ए सलूशन पिच करता था। डील को लुकरेटिव बनाने के लिए 50% की स्कॉलरशिप ऑफर की जाती थी और 100% रिफंड का ऑप्शन भी दिया जाता था। अगर पेरेंट्स तब भी ना खरीदे तो फिर सेल्समैन अपना ब्रह्मास्त्र निकालता था। बच्चे से कुछ और सवाल पूछे जाते थे जिसके ऑसर वो ना दे पाए। फिर इन सवालों से जुड़े टॉपिक्स की वीडियो दिखाई जाती थी और उन्हीं सवालों को दोबारा पूछा जाता था। इस बार वो बच्चा इन सवालों के जवाब बिल्कुल सही देता था। बच्चे की इस इम्प्रूवमेंट को देख कर पेरेंट्स काफी इम्प्रेस्ड हो जाते थे और अब तक वो बच्चा भी बाई जुइस का टैबलेट लेना चाहता था। फाइनली पेरेंट्स फी पे कर देते थे और ब्य जुइस की एक्सेल क्लोज़ हो जाती थी। ये एक ऐसी सेल्स स्ट्रिक्ट थी जो कभी फैल नहीं होती थी। इसी सेल्स मॉडल के बेस पे ब्य जुइस बुलेट की रफ्तार से ग्रो करता चला गया। टू थाउज़न्ड एयठीन में वॅन बिलियन डॉलर्स प्लस की वैल्यूएशन के साथ बायजुस इंडिया का पहला अटैक यूनिकॉर्न बन चुका था और मार्च 2 थाउज़न्ड 20 तक करीब 4,00,00,000 यूजर्स के साथ उसकी वैल्यूएशन करीब आठ बिलियन डॉलर्स तक पहुँच गई की तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने की ग्रोथ को और भी बड़ा स्पीड बूस्ट दे दिया। चोविद् 19 फॉरमैट दी असेसमेंट दट। कोविड 19 कैन बी कैरेक्टराइज़्ड एस ए पैन्डेमिक पूरे देश में लॉक डाउन अनाउंस कर दिया गया। आज रात 12:00 बजे से सम्पूर्ण देश में सम्पूर्ण लॉक डाउन होने जा रहा है और स्टूडेंट्स को ऑनलाइन एजुकेशन पे निर्भर होना पड़ा। इस अपॉर्चुनिटी को देखते हुए बायजुस ने कुछ हफ्तों के लिए अपनी क्लासेज फ्री कर दी ताकि वो ज्यादा से ज्यादा यूजर्स को अक्वायर कर सके। इस स्ट्रेटेजी के चलते ऍप यूसेज 60% से इन्क्रीज़ हो गया। देखते ही देखते कुछ दिनों का लॉक डाउन अब महिनों में बदल चुका था। और इसीलिए इलेर्निंग का अडॉप्शन भी तेज़ी से बढ़ता जा रहा था। अटैक इंडस्ट्री की इस एक्स्क्लूसिव ग्रोथ को देखते हुए वेंचर कैपिटल इन्वेस्टर्स में क्रियेट हो गया। वो अटैक इंडस्ट्री में इन्वेस्ट करके पैसे बनाने की ऑपर्च्युनिटी को मिस नहीं करना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने अटैक कंपनीस में मुँह मांगी कीमत पे हज़ारों करोड़ रुपए लगाना चालू कर दिया। थाउज़न्ड 19 में अटैक सेक्टर में टोटल 429 मिलियन डॉलर्स की इन्वेस्टमेंट आई थी। वही टू थाउज़न्ड 20 में ये इन्वेस्टमेंट टू थाउज़न्ड 220 मिलियन डॉलर्स और टू थाउज़न्ड 21 में फोर थाउज़न्ड 165 मिलियन डॉलर्स हो गई। लेकिन कॅछ ये है की इसमें से ऑलमोस्ट 50% फंडिंग केवल बाइजूस को मिली थी। इन हज़ारों करोड़ो की फंडिंग के साथ ब्य जूस ने एक के बाद एक अपने से छोटे अटैक स्टार्ट अप को बहुत महंगे दामों में एक क्वैरी करना चालू कर दिया। जैसे कोडिंग एजुकेशन में एंट्री लेने के लिए उन्होंने वापिंग 300 मिलियन डॉलर्स में व्हाइट हेड जूनियर को खरीद लिया। सिमिलरली, टिंकर टॉपर, ग्रेट लर्निंग एपिक्स स्कॉलर और ग्रेड अप जैसे स्टार्ट अप्स को भी अक्कूइर कर लिया। इनमे से तीन स्टार्ट अप्स यु एस ए के थे और रवींद्रन इन स्टार्ट अप्स के थ्रू यु एस मार्केट में अपनी जगह बनाना चाहते थे। इन स्टार्ट अप्स को तेज़ी से ग्रो करने के लिए बाइजूस ने 1.2 बिलियन डॉलर्स का एक लोन तक ले लिया था। जो एक बहुत ज्यादा बड़ा अमाउंट है। लेकिन सबसे ज्यादा न्यूस तब बनी जब उसने वॅन बिलियन डॉलर्स में आकाश इन्स्टिट्यूट को अक्वायर कर लिया। बेसिक्ली एक 5 साल पुरानी अटैक कंपनी बाइजूस ने 33 साल पुरानी एक कोचिंग जॉइंट को अक्वायर कर लिया था। प्लस कुछ एक्सपर्ट्स का कहना था की बाइजूस ने आकाश के लिए उसकी वैल्यू से 2030% एक्स्ट्रा पैसे दे दिए है। मार्च 2 थाउज़न्ड 22 तक 50 एयठ थाउज़न्ड एम्पलॉईस और 22 बिलियन डॉलर्स की वैल्यूएशन के साथ ब्य जुइस अपनी पीक पे पहुँच चुका था। लेकिन एक प्रॉब्लम थी चोविद् 19 पैन्डेमिक इफेक्ट अब खत्म हो रहा था। दी वर्ल्ड हेल्त ऑर्गेनाइजेशन टुडे डिक्लेर्ड इन एन टु दी कोविड 19 ग्लोबल हेल्त इमरजेंसी। और इसी के चलते बाइजूस की ग्रोथ स्टोरी में एक डेडली ब्रेक लगने वाला था। एक ऐसा ब्रेक जो पूरे इंडिया को शॉक करने वाला था। बाइजूस की सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी की उनकी सेल्स उनकी वैल्यूएशन के मुकाबले काफी कम रफ्तार से बढ़ रही थी। इसीलिए बाई जूस अपनी सेल्स टीम पे बेइंतहा प्रेशर बिल्ड करने लगा। रिपोर्टेडली बेंगलुरु ऑफिस में एम्पलॉईस को 14 घंटे की थका देने वाली शिफ्ट्स पे काम करना पड़ता था। सेल्स रेप्स को टारगेट मीट करे बिना लंच ब्रेक तक लेने को मना किया जाता था। अगर कस्टमर कॉल उठाना बंद कर दे तो उसका पूरा ब्लामे सेल्स रैप पे आता था। सेल टारगेट भी उन रीज़नेबल थे। हर सेल्समैन को डेढ़ लाख की सेल्स लानी होती थी, पर वीक और टू थाउज़न्ड 22 में तो बाईसूस ने ये रूल लाया की जो भी सेल्समैन अपना मिनिमम 50% टारगेट मीट नहीं करेगा, उसे इमीडियेटली फाइर कर दिया जाएगा। इस रूल चेंज के बाद सेल्स पीपल अपना टारगेट मीट करने के लिए दंड भेद जो बन सके वो करने लगे। ऐसे कई इन्सिडेंट्स आए जिसमें पेरेंट्स को प्रेशर देके, झूठी इन्फॉर्मेशन देकर और इवन डरा। धमका के सेल्स क्लोज़ की गई। कई बार तो एक सेल्स क्लोज़ करने के लिए खुद सेल्स पर्सन ने अपनी जेब से ₹15,000 एस डाउन पेमेंट दे दिए। ऑल्सो ऐसे रिपोर्ट्स आने लगी की कस्टमर्स को अपना सब्सक्रिप्शन कैंसिल करने में और रिफंड्स लेने में बहुत दिक्कत आ रही है। जैसे जैसे बाइजू उसकी मिस सेल्लिंग और कस्टमर एक्सप्लॉइडेशन की कहानियों बाहर आने लगी, वैसे ही पेरेंट्स का ब्य जुइस पे ट्रस्ट टाइम लो पे चला गया। लेकिन ब्य जुइस के लिए ये तो केवल प्रोब्लम्स की शुरुआत थी। रविंद्रन और बाकी टॉप मनेजमेंट शायद इस बात को इग्नोर कर रहे थे कि वो चाहे कितनी भी सेल्स कर ले उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनकी यूनिट इकोनॉमिक्स सेंस नहीं बना रहे थे। वो बेसिक्ली हर एक सेल पे ओवरआल लॉस कर रहे थे। उनका हर सेल्समैन ऑन एवरेज पर मंथ 2.76 ल्याक्स की सेल्स ला रहा था। इन्क्लूडिंग कैंसलेशन एंड रिटर्न्स सेल्समैन की कॉस्ट जैसे सैलरी इन्सेंटिव्स और ट्रैवेल एक्स्पेन्सस माइनस करने के बाद का नेट रेवइन्यू केवल 1.6,00,000 पर सेल्समैन था। उसके बाद मार्केटिंग और प्रॉडक्ट कॉस्ट को अकाउन्ट करने के बाद जो नेट मार्जिन था वो केवल 57 थाउज़न्ड पर सेल्समैन था। फाइनली ऑफिसर एंड मैनेजरियल ओवर हेड्स एंड ऑदर कॉस्ट को माइनस करने के बाद ब्य जूस मैसिव लॉसस कर रहा था। इन लॉसस को देखते हुए टू थाउज़न्ड टू थाउज़न्ड 22 के एंड में बाइजूस ने अपने सेल्स मॉडल को ट्वीट किया। ताकि वो अपने एक्स्पेन्सस को कम कर सके। नए मॉडल में सेल्स पर्सन को फील्ड विजिट्स नहीं करनी होती थी। मतलब कस्टमर के घर जाके डेमो नहीं देना होता था। इनस्टेड उन्हें सारी सेल्स फ़ोन या ज़ूम कॉल के थ्रू करनी होती थी। अब इस मॉडल से ब्य जुइस के एक्स्पेन्सस तो कम हो गए लेकिन साथ ही साथ उनकी सेल्स भी गिर गई क्योंकि फ़ोन कॉल के थ्रू कन्वर्षन रेट्स कंपॅरटिव्ली कम होते थे। लेकिन ब्य जुइस के सामने अभी इससे भी बहुत बड़ी प्रॉब्लम आने वाली थी। टू थाउज़न्ड 22 में की एक अनाउंसमेंट ने सबको शॉक कर दिया। उन्होंने अनाउंस किया की वो 200 मिलियन डॉलर्स इन्वेस्ट करके अलग अलग सिटीज़ में 500 ऑफलाइन ट्यूशन सेंटर्स खोलेंगे। लेकिन जीस कंपनी ने इंडियन एजुकेशन को ऑनलाइन ले जाने की पूरी मुहिम चालू की थी। आखिर उसी कंपनी को ऑफलाइन क्यों जाना पड़ रहा था? वेल क्योंकि उसको अब उनके ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म के लिए कस्टमर्स नहीं मिल रहे थे। ब्य जूस को लगा था की एक बार पैन्डेमिक के चलते स्कूल स्टूडेंट्स को ऑनलाइन लर्निंग की आदत लग जाएगी तो वो हमेशा के लिए ऑनलाइन लर्निंग ही पसंद करेंगे। लेकिन ये अस्सम्पशन बिल्कुल गलत निकला। 2 साल लंबे पैन्डेमिक के बाद स्कूल स्टूडेंट्स ऑनलाइन पढ़ पढ़ के थक चूके थे। साथ ही साथ पेरेंट्स को भी रियलाइज हो चुका था कि उनके बच्चे ऑनलाइन पढ़ते हुए इसिली डिस्ट्रैक्ट हो जाते हैं। पढ़ाई के साथ साथ वो चाटिंग सोशल मीडिया और यूट्यूब भी चलाते थे। वही ऑफलाइन क्लासेज में ये डिस्ट्रक्शन्स नहीं थे। साथ ही साथ ऑफलाइन क्लासेज में टीचर से डायरेक्ट इंटरैक्शन के कारण जो अकाउन्टबिलिटी आती थी, वो भी ऑनलाइन मिस्स थी और इसीलिए अलटिमेटली पेरेंट्स और स्टूडेंट्स ने वापस ऑफलाइन एजुकेशन को ही चूस किया। बेसिक्ली ब्य चूस ने जीस एजुकेशन को ऑनलाइन ले जाने के बिज़नेस मॉडल पे बिलियन्स ऑफ़ डॉलर्स उड़ा दिए थे। वो मॉडल ही फ्लोट था। उसमें पैसे बनने ही नहीं वाले थे। बाइजूस के हालात ऑलरेडी खराब हो चुकी थी। किताब ही कुछ ऐसा हुआ जिसने ब्य जुइस को पूरी तरह से एक्सपोज़ कर दिया। सितम्बर टू थाउज़न्ड 22 में बाइजूस ने फाइनैंशल ईयर 21 की एअर्निंग रिपोर्ट रिलीज़ करी रिपोर्ट के अकॉर्डिंग फर्स्ट अप्रैल 2 थाउज़न्ड, 20 से थर्टी फर्स्ट मार्च 2 थाउज़न्ड 21 के बीच ने टू थाउज़न्ड 420 8,00,00,000 का रेवइन्यू किया था। लेकिन उनके लॉसस इससे ऑलमोस्ट डबल थे। फोर थाउज़न्ड 564 क्रोर्स बेसिक्ली वो साल बाईजूस ने हर दिन साढ़े ₹12,00,00,000 का लॉस किया था, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता वाली बात ये थी की उनका 80% रेवइन्यू टैबलेट्स की सेल से आ रहा था और केवल 20% रेवइन्यू ही कोर्स फीस और कोर्स स्ट्रीमिंग से आ रहा था। रेवइन्यू के हिसाब से देंगे तो ब्य जुइस एक अटैक कंपनी थी ही नहीं। वो एक टैबलेट बेचने वाली कंपनी थी। इस एअर्निंग रिपोर्ट से बाइजू उसका कड़वा सच सबके सामने आ चुका था और इसी के चलते अगले कुछ समय में उनपे मुसीबतों का पहाड़ टूटने वाला था। सबसे पहली प्रॉब्लम थी फंडिंग की जीस ब्य जूस कंपनी में 1 साल पहले वि सीस हजारों करोड़ रुपए लगा रहे थे। अब उसी कंपनी को कोई छूने को भी तैयार नहीं था और इस कारण बाइजूस के पास पैसे खत्म होने लगे। एम्पलॉईस की सैलरी होने लगी। महीनों से वेंडर्स की पेमेंट्स अटक गई और लोन रीपेमेंट भी रुक गई। फिर एक बहुत बड़ी लीगल प्रॉब्लम आ गई। जिन यु एस बेस्ड कंपनीस ने उन्हें 1.2 बिलियन डॉलर का लोन दिया था। उन्होंने ब्य जुइस पे लोन डिफ़ॉल्ट और लोन टर्म्स को वयोलेट करने के लिए केसेस फाइल कर दिए। इनकी मांग थी उसके सभी एसेट्स और सब्सिडीरी का कंट्रोल गेन करना। फिर अप्रैल 2 थाउज़न्ड 23 में एक और झटका आया जब मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर अफेयर्स ने बाइजूस पे एक इन्वेस्टिगेशन चालू कर दी। उनकी इन्वेस्टिगेशन ब्य जुइस की फाइनैंशल और कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रैक्टिसेज़ को लेकर थी। इसी दौरान बिगड़ती फाइनैंशल कंडीशन के कारण हजारों एम्पलॉईस को फाइर करना चालू कर दिया। इ पी ऐफ़ ओह डेटा के अकॉर्डिंग मार्च 2 थाउज़न्ड 22 तक कंपनी में अराउंड 50 एयठ थाउज़न्ड एम्पलॉईस थे। लेकिन जून 2 थाउज़न्ड 23 तक यही नंबर आधे से भी कम करीब 25,000 पे आ गया था। सर्वाइव करने के लिए ने अपने यु एस बेस्ड लर्निंग प्लेटफार्म एपिक को 500 मिलियन डॉलर्स पे बेचने की अनाउंसमेंट की। बाइजूस ने एपिक को वॅन बिलियन डॉलर्स में खरीदा था। मतलब इस सेल पे उन्हें 500 मिलियन डॉलर्स का लॉस हो रहा था। फिर सेप्टेम्बर टू थाउज़न्ड 23 में बी सी सी आई ने ब्य जुइस के अगेंस्ट पेमेंट ना करने के कारण प्रोसीडिंग चालू कर दी और जले पे नमक छिड़कने के लिए ऑक्टोबर 2 थाउज़न्ड 23 में इ डी ने बाइजूस पे 9000 करोड़ की फेमा विलेशन के आरोप लगाते हुए नोटिसेस इश्यू कर दिए। इन सभी प्रोब्लम्स के साथ साथ ब्य जुइस की वैल्यूएशन भी क्रॅश करते जा रही थी। जनुअरी टू थाउज़न्ड 24 में तो ब्य जूस की इवैल्यूएशन 225 मिलियन डॉलर्स पे आके गिर गई। मतलब 22 मिलियन डॉलर्स की पीक वैल्यूएशन से उनकी वैल्यूएशन करीब 19 9% गिर चुकी थी। तो उसने करीब 1,80,000 करोड़ की वेल्थ गायब कर दी थी। आज के दिन बाईजू उसने अपने बेंगलुरु ऑफिस को छोड़ के इंडिया के बाकी सभी ऑफिसेस को खाली कर दिया है। उनके लिए इ लर्निंग के पेय्ड कस्टमर्स को अक्वायर करना मुश्किल हो गया है। उनके ऑफलाइन ट्यूशन सेंटर्स के बिज़नेस ने तो कभी पिक अप ही नहीं किया और फाइनली आकाश को छोड़कर बायजुस ने जिन स्टार्ट अप्स को खरीदा था वो सब ही लॉस में है। इन सबके चलते 22 ऑलमोस्ट कोलैप्स कर चुका है पर ब्य जूस के फ्यूचर में केवल एक चीज़ दिख रही है। डार्कनेस बाइजू, उसके डाउनफॉल से एक बात क्लियर है की जो बाइजूस कंपनी इंडिया के एजुकेशन को रेवोल्यूशन करने आई थी उसके खुद के कोर में एजुकेशन थी ही नहीं। उनकी कोर में था केवल ग्रोथ और वैल्यूएशन का ऐडिक्शन और यही एडिक्शन आज उनकी बर्बादी का कारण बना।

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