आज विश्व अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस है
आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मना रहा है । बाघों के संरक्षण और उनकी विलुप्त हो रहीं प्रजातियों को बचाने के लिए इस दिन को लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मानाया जाता है । इस दिवस की शुरुआत साल 2010 में हुई थी. इस साल रूस के पीटर्सबर्ग में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में हर साल की 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था. इस इंटरनेशनल समिट में बाघों की आबादी वाले 13 देशों ने हिस्सा लिया था सभी ने बाघों की संख्या को 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा था. भारत ने इस टारगेट को 2018 में ही हासिल कर लिया था. 2018 में भारत में बाघों की संख्या 2967 से ज्यादा हो चुकी थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 150 सालों में बाघों की आबादी में लगभग 95 प्रतिशत की गिरावट आई है।
सरकार ने बताया कि भारत में पिछले तीन साल में 329 बाघों की मौत शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से हो गयी। उसने यह भी कहा कि इसी अवधि में शिकार, बिजली का करंट लगने, जहरीले पदार्थ का सेवन करने और ट्रेन हादसों की वजह से 307 हाथियों की मृत्यु हो गयी. केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने 26 जुलाई को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
भारत में इनके संरक्षण के लिए 1973 में जब ‘प्रोजेक्ट टाइगर‘ लॉन्च किया गया, तब उस समय केवल आठ अभयारण्य ही थे। लेकिन 2022 में टाइगर रिजर्व की संख्या बढ़कर 53 हो गई है, राजस्थान का रामगढ़ विषधारी 52वां और छत्तीसगढ़ का गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान 53वां टाइगर रिजर्व है।
जिसमें 3568 वर्ग किलोमीटर में फैला आंध्र प्रदेश का नागार्जुनसागर-श्रीशैलम सबसे बड़ा और 1973 में स्थापित उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क सबसे पहला टाइगर रिजर्व है।
बाघ एक खूंखार शिकारी जानवर है जिसका वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस है, यह बिल्ली की सबसे बड़ी प्रजाति मानी जाती है जो आमतौर पर अपना पेट भरने के लिए हिरण और जंगली सूअर जैसे जानवरों का शिकार करते हैं।
पूरे विश्व में पाए जाने वाले बाघों की लगभग 75% आबादी भारत में ही है, जो अनुमानित 2967 हैं। तो वहीं वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के अनुसार दुनियाभर में तकरीबन 3900 टाइगर्स ही बचे हैं।