माता रानी को करना है प्रसन्न तो चैत्र नवरात्रि में जरूर करें ये काम जानिए प्रसिद्ध औरा विशेषज्ञ मनोज जैन से

नवरात्रि का पर्व बहुत ही पवित्र एवं महत्त्व का है। नवरात्रि के दिनों में प्राकृतिक धाराएं सकारात्मक परिवर्तन हेतु अपना रुख बदलती है। इन धाराओं के साथ जुड़ कर हम भी अपने तन एवं मन में सुसुप्त पड़ी धाराओं को जगाकर बहुत बड़े सकारात्मक परिणाम के भागीदार बन सकते है। इसके लिए हमें नवरात्रि के नव दिनों एवं रात्रि से जुड़ी मान्यताओं को स्वीकार करना पड़ता है.

प्रथम दिन – नव रात्रि के प्रथम दिन सबसे पहले देवी स्थापना के पश्चात श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात मां शैलपुत्री का आवाहन हाथ में लाल पुष्प लेकर करना चाहिए।
मां शैल पुत्री की कृपा प्राप्त करने हेतु ‘ ॐ शं शैलपुत्री दे व्यय नमः’ मंत्र जाप करना चाहिए।
मा शैलपुत्री की कृपा से सभी मनो कामना पूरी होती है।

दूसरा दिन – नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
मा ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्नान करना बहुत पसंद है। माता को पान सुपारी अर्पित करना चाहिए।पूजा के पश्चात घी और कपूर की आरती से माता प्रसन्न होती है।
ब्रह्मचारिणी माता की पूजा संयम , शालीनता एवं सिद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

तीसरा दिन – नवरात्रि के तीसरे दिन चन्द्र घंटा माता की पूजा अर्चना की जाती है।
चंद्रघंटा माता को दूध की बनी मिठाई बहुत पसंद है।
चन्द्र घंटा माता के प्रसन्न होने पर शत्रुओं पर विजय मिलती है।
माता को ‘ ॐ चं च च चंद्रघंटा याईं नमः मंत्र जाप करके प्रसन्न किया जा सकता है।

चौथा दिन – नवरात्रि के चौथे दिन कूष्माण्डा माता की पूजा करनी चाहिए। कूष्माण्डा माता को हलवा का भोग बहुत पसंद है। कूष्माण्डा माता प्रसन्न होने पर हमारे शरीर और मन के विकारों को दूर करती हैं।
माता की प्रसन्नता हेतु ‘ ॐ ऐंग ह्रीं देव्याई नमः ‘ मंत्र जाप करना चाहिए।

पांचवा दिन – नवरात्रि के पांचवे दिन स्कन्द माता की उपासना की जाती है।
स्कन्द माता को केले का भोग बहुत पसंद है।
स्कन्द माता की कृपा होने से पुण्य एवं मोक्ष प्राप्त होता है।

छठा दिन – नवरात्रि के छठे दिन कात्यायनी माता की पूजा होती है। कात्यायनी माता को हाथ में पीला फूल लेकर ध्यान किया जाता है ।
कात्यायनी माता को शहद एवं हल्दी की गाठ बहुत पसंद है। मा कात्यायनी की कृपा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

सातवा दिन – नवरात्रि के सातवे दिन मा कालरात्रि की उपासना की जाती है।
कालरात्रि माता को रात के रानी का फूल बहुत पसंद है। माता को गुड का भोग लगाना चाहिए।
कालरात्रि मा के प्रसन्न होने से पाप नाश एवं स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

आठवां दिन – नवरात्रि के आठवे दिन महागौरी माता की पूजा की जाती है। महागौरी माता को सफेद फूल बहुत पसंद है। माता प्रसन्न होकर सुख समृद्धि प्रदान करती है।

नवा दिन – नवरात्रि के नवे दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा होती है । सिद्धिदात्री माता को केसरिया रंग का फूल बहुत पसंद है। माता जी प्रसन्न होकर सातों सिद्धियां प्रदान करती है।

मनोज जैन
( प्रसिद्ध औरा विशेषज्ञ )

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