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अब आगे क्या भविष्य है मुख्तार अब्बास नकवी का

मुख्तार अब्बास नकवी का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए मीडिया में सुर्खियों पर था । लेकिन मोदी सरकार हमेशा से चौकाने के लिए जानी जाती हैं अंतिम समय में जगदीप धनखड़ के नाम पर मुहर लग गई।
अब ऐसे में प्रश्न ये है की क्या नकवी का राजनैतिक भविष्य का क्या होगा क्यों की अब वो राज्यसभा के सदस्य भी नही हैं।
वैसे भाजपा इस पद पर उम्मीदवार के रूप में किसी पसमांदा मुस्लिम समाज के व्यक्ति को अवसर देने पर विचार कर रही थी। जिसका जिक्र मोदी कर चुके थे ।

मुख्तार अब्बास नकवी के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1975 के आपातकाल से हुई थी। तब उन्होंने देश में लागू किए गए आपातकाल का विरोध किया था और इसके लिए जेल भी गए थे। छात्रनेता रहते हुए वह जनता पार्टी के कार्यक्रमों और आंदोलनों में शामिल होते थे। 1980 में उन्होंने जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इसके बाद अयोध्या से 1980 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ा, लेकिन हार गए।

1998 में रामपुर में किस्मत ने उनका साथ दिया और
वह चुनाव जीत गए। तब उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया था। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो मुख्तार अब्बास नकवी को अल्पसंख्यक राज्यमंत्री बनाया गया था, 2016 में कैबिनेट का दर्जा मिल गया। 2019 में फिर से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली तो मुख्तार अब्बास नकवी को फिर से केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री बनाया गया।
खैर अब आगे जानते है की अब नकवी को आगे पार्टी कौन सी जिम्मेदारी दे सकती हैं।

इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव भी है। ऐसे में मुख्तार अब्बास नकवी को संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर एक चर्चा ये भी है कि उन्हें किसी बड़े राज्य का नया राज्यपाल बनाया जा सकता है। भाजपा इस वक्त मुस्लिम विरोधी छवि होने के आरोप से गुजर रही हैं ऐसे में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद के अलावा कोई मुस्लिम राजयपाल नही हैं सो नकवी को इस तरह को जिम्मेदारी दी जा सकती हैं।

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