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जाने होलिका दहन के मायने वास्तु औरा विशेषज्ञ मनोज जैन से

फागुन शुक्ल की पूर्णिमा पर 28 मार्च को होली का त्यौहार मनाया जाएगा इस दिन होली गोधूलि बेला में होलिका दहन होगा वह दलित मेला में भद्रा का साया नहीं होगा इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग अमृत सिद्धि योग होगा होली दहन श्रेष्ठ दायक होगी होली दहन का शुभ संयोग सर्वार्थ सिद्धि योग संपूर्ण दिन व रात्रि अमृत सिद्धि योग 5:36 शाम 5:00 के 36 मिनट से होलिका दहन का मुहूर्त शाम 6:38 से 6:50 तक सर्वश्रेष्ठ रहेगा होलिका दहन के समय कोविड-19 के कारण सरकार द्वारा गाइड लाइन का भी पूर्ण ध्यान रखना आवश्यक होता है, बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है होलिका दहन के बाद अगले दिन रंग खेले जाते हैं।

होलिका की अग्नि में अपने अहंकार, बुराईयों आदि सबको जला देते हैं और रंग लगाकर एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते हैं बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया होली मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था वह भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्वाद को लेकर अग्नि में बैठ गई थी लेकिन प्रह्वाद को कुछ भी नही हुआ और स्वंय होलिका ही उस अग्नि में भस्म हो गई।

होली की पूजा विधि

  1. होलिका पूजन शाम के समय किया जाता है इसके लिए आप पूर्व या उत्तर की तरफ अपना मुख करके बैठें।
  2. इसके बाद अपने आस -पास पानी की कुछ बूंदे छिड़कें ऐसा करने से आपके पास की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
  3. इसके बाद गोबर से होलिका बनाएं या फिर सार्वजनिक जगह पर जाकर जहां होलिका बनी हो वहां जाकर पूजन करें होलिका पूजन से पहले गणेश जी का पूजन अवश्य करें
  4. पूजन के लिए एक थाली में रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक लोटा पानी अवश्य लें।
  5. नरसिहं भगवान का स्मरण करें होलिका पर रोली , चावल,फूल,बताशे अर्पित करें और मौली को होलिका के चारों और लपेटें।
  6. इसके बाद होलिका पर प्रह्वाद का नाम लेकर फूल चढ़ाएं नरसिहं भगवान का नाम लेते हुए पांच अनाज चढ़ाएं।
  1. अपना नाम, पिता का नाम दादा और गोत्र का नाम लेते हुए चावल चढ़ाएं।
  2. होलिका दहन कर उसकी परिक्रमा करें और हाथ जोड़कर नमन करें।
  3. होलिका दहन की अग्नि में गुलाल डालें और अपने बड़ों के पैरों में गुलाल लगाकर उनका आर्शीवाद लें।
  4. होलिका दहन के दिन बालें बुझने का भी रिवाज है। इस दिन बाले बुझकर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों शुभकामनाएं दें।

होली पर रंगों का महत्व भी जाने

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है यह होली के पहले दिन होलिका दहन कर अगले दिन रंगो से होली खेली जाती है यह दिन सभी प्रकार के द्वेष को भूलाकर एक- दूसरे को गले लगाकर रंग लगाने का होता है और लोग मिलकर गुंजिया और मिठाईयां खाते हैं।
रंगों का जीवन में अधिक महत्व होता है सभी रंग जीवन के महत्वपूर्ण अंगों को दर्शाते हैं जो होली के त्योहार पर रंगों के द्वारा देखा जाता है।

क्यों नहीं जलाई जाती भद्रा काल में होली

शास्त्रों के अनुसार भद्र का समय अशुभ माना जाता है जिसमें कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता, भद्रा का स्वाभाव काफी उग्र है इसी वजह से कोई भी शुभ काम करना भद्रा काल में वर्जित है भद्रा काल के समय ही भगवान शिव ने तांडव किया और भगवान शिव तांडव करते हैं तब वह रोद्र रूप में होते हैं इसी कारण से भद्रा काल में होलिका दहन नहीं हो सकता है

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