भारत के अध्यात्म पुरुष आदि शंकराचार्य के जीवन पर आधारित वेब सीरीज का पोस्टर आउट, जल्द होगी ओटीटी पर रिलीज
8वीं शताब्दी में एक महत्वपूर्ण आंदोलन श्री आदि शंकराचार्य के नेतृत्व में हुआ था, जब भारतवर्ष 300 से अधिक टुकड़ों में बँटा हुआ था और धर्म के 72 से अधिक सम्प्रदाय एक दूसरे के साथ संघर्ष कर रहे थे। ऐसे हालात में राष्ट्रीय परिदृश्य पर उस महानायक का उदय हुआ, जिन्होंने अपने अपार ज्ञान से ना सिर्फ समस्त ७२ सम्प्रदायों को अपने अद्वैत दर्शन से सहमत किया बल्कि ३०० टुकड़ों में बँटे भारतवर्ष को वैचारिक स्तर पर इस तरह जोड़ा कि अगले 200 वर्षों तक कोई भारतवर्ष पर आक्रमण नहीं कर पाया। यह सीरीज भारत के सबसे बड़े महानायक आदि शंकराचार्य की जीवनी है।
आर्ट ऑफ लिविंग प्रस्तुत, श्री श्री पब्लिकेशंस ट्रस्ट और ओएनएम मल्टीमीडिया के बैनर तले बनी सीरीज़ के लेखक निर्देशक ओंकार नाथ मिश्रा हैं।
लेखक निर्देशक ओंकार नाथ मिश्रा का कहना है कि शांति, अहिंसा और प्रेम की संस्कृति जिसके लिये भारत जाना जाता है, जिसपर भारतवर्ष को गर्व है की रक्षा और पुनर्स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। आज भारतवर्ष का अस्तित्व है, क्योंकि श्री आदि शंकराचार्य हमारे बीच में थे। उनका संदेश था कि व्यक्ति अपनी आत्मा के मोक्ष के लिये तो कार्य करे ही, समाज के हित के लिये भी कार्य करे। आध्यात्मिक स्तर पर सभी एक हैं इसलिये सामाजिक स्तर पर सबको उसी सम्मान के भाव से देखा जाना चाहिए जिसकी अपेक्षा व्यक्ति स्वयं के लिये करता है। दक्षिण से उत्तर और पश्चिम से पूरब तक देश को एक सनातन सूत्र में बांधने का महान कार्य श्री आदि शंकराचार्य ने किया था।श्री शंकराचार्य के जीवन के अनछुए पहलुओं के बारे में इस सीरीज के माध्यम से लोगों को पता चलेगा ।
आदि शंकराचार्य सम्पूर्ण भारतवर्ष में जाने जाते हैं। उनके द्वारा स्थापित मठों और अद्वैत सिद्धांत में विश्वास रखने वाली अनेक संस्थाओं से जुड़े करोड़ों लोग उनको मानते हैं और उनके बारे में जानना चाहते हैं।
उनकी ये कहानी आज भी प्रासंगिक है।आज फिर से वही परिस्थितियाँ हैं जिनसे श्री आदि शंकराचार्य ने हमें आठवीं शताब्दी में बाहर निकाला था।तब उत्तर पश्चिमी सीमा पर अरब अटैक कर रहे थे आज पाकिस्तान लगातार लड़ रहा है।चीन उस समय बदरिकाश्रम में घुसपैठ कर रहा था आज अरुणाचल और लद्दाख में कर रहा है।उस समय के राजा देश को भूल अपने स्वार्थ के लिए आपस में लड़ रहे थे आज के राजनेता भी सत्ता के लिये देश में रोज़ आग लगा रहे हैं।अपनी हि संस्कृति को तब भी नीचा दिखाया जा रहा था आज भी दिखाया जा रहा है।हमारी भाषा संस्कृत को ख़त्म करने की राजनीति तब भी चल रही थी आज भी भाषाओं को लेकर राजनीति है।स्त्रियों को तब भी उपभोक्ता वस्तु समझा जाता था आज भी उसकी भावनाओं की परवाह किये बिना उनके साथ प्रतिदिन rape हो रहा है और ऐसी हर समस्या जो आज है तब भी थी और इन समस्याओं को समाप्त करने के लिये basic सोच को बदलने की आवश्यकता है और आदि शंकराचार्य के जीवन चरित्र और कार्यों को देखकर ये सोच हमारे अंदर आती है और यहीं सामाजिक रिलेवेंट हो जाते हैं लगता है कि काश आदि शंकराचार्य आज हमारे बीच होते।