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क्यों मनाते हैं छठ ,क्या है शुभ मुहूर्त

दिवाली के बाद छठ पूजा का महापर्व प्रारंभ होता है। वैसे तो छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है, जिसमें प्रात:काल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पारण करके व्रत को पूरा करते हैं. लेकिन छठ पूजा एक दिन नहीं बल्कि चार दिवसीय उत्सव है. छठ पूजा का महापर्व नहाय खाय से प्रारंभ होता है और समापन प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देकर होता है. इस पूजा के लिए तैयारी दिवाली पूर्व से ही शुरू हो जाती है। छठ पूजा में निर्जला व्रत रखकर छठी मैय्या और भगवान सूर्य की पूजा करते हैं. यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है. छठ पूजा के महत्व को आप इस बात से समझ सकते हैं कि यह बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुबई समेत देश के अनेक छोटे-बड़े शहरों में मनाया जाता है।
छठ पूजा का पहला दिन
नहाय-खाय 2022: 28 अक्टूबर, दिन शुक्रवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 30 मिनट परसूर्योस्त: शम 05 बजकर 39 मिनट पर।
छठ पूजा का दूसरा दिन
लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट परसूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर।
छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 2022: 30 अक्टूबर, रविवार।

सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

. छठ पूजा का चौथा दिन
छठ पूजा का प्रात: अर्घ्य 2022: 31 अक्टूबर, सोमवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 32 मिनट पर।
छठ पर्व की परंपरा में बहुत ही गहरा विज्ञान छिपा हुआ है षष्ठी तिथि (छठ) एक विशेष खगोलीय अवसर है। उस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं।

सूर्योपासना का पर्व छठ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा है। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक मास में। चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जानेवाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-स्मृद्धि तथा मनोवांछित फलप्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है।

इस पर्व को स्त्री और पुरुष समानरूप से मनाते हैं। छठ व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। लोक परंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का संबंध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी।

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