तिहाड़ जेल ने बाहुबली शहाबुद्दीन की कोरोना से मौत का किया खंडन, बताई अफवाह
नई दिल्ली तिहाड़ जेल में बंद आरजेडी के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन कोरोना से संक्रमित हैं। कोरोना संक्रमण के चलते उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। बीते एक सप्ताह से दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में शहाबुद्दीन का उपचार चल रहा है। तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल का कहना है कि शहाबुद्दीन का फिलहाल उपचार चल रहा है। बता दें, ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि शहाबुद्दीन का कोरोना से निधन हो गया है।
इससे पहले पिछले साल सितंबर में पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के पिता शेख मोहमद हसीबुल्लाह (90 वर्ष) का निधन हो गया था। उस वक्तर तिहाड़ में बंद पूर्व सांसद को पैरोल पर लाने की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में आजावीन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले चल रहे हैं। 15 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बिहार की सीवान जेल से तिहाड़ लाने का आदेश दिया था।
तिहाड़ जेल में शहाबुद्दीन को एकदम अलग बैरक में रखा गया था। उस बैरक में शहाबुद्दीन के अलावा कोई दूसरा कैदी नहीं था। जेल के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि तिहाड़ में तीन ऐसे कैदी (शहाबुद्दीन, छोटा राजन और नीरज बवाना) हैं जिनको अलग-अलग बैरकों में अकेला रखा गया है। इनका किसी से भी मिलना-जुलना नहीं होता है। पिछले 20-25 दिनों से इनके परिजनों को भी इन कैदियों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। इन सबके बावजूद शहाबुद्दीन कैसे कोरोना संक्रमित हो गया, ये चिंता करने की बात है।
शहाबुद्दीन बिहार के बाहुबली नेता थे और राजद से जुड़े रहे उन्हें लालू यादव का करीबी माना जाता था जब बिहार में संयुक्त रूप से लालू नीतीश की सरकार बनी तो कुछ दिनों के लिए जेल से जमानत पर बाहर आये थे तब उन्होंने लालू यादव को अपना नेता माना था और नीतीश को परिस्थितियों का मुख्यमंत्री और नेता कहा था जिस पर खूब बवाल मचा था।
बिहार के सिवान से सांसद शहाबुद्दीन का 90 के दशक में खूब दबदबा था और उसका वहाँ आस पास के क्षेत्र में बहुत आतंक था।
बाहुबली शहाबुद्दीन को सिवान के लोग खौफनाक तेजाब कांड को लेकर भी याद करते हैं। साल 2004 में चंदा बाबू के तीन बेटों गिरीश, सतीश और राजीव का बदमाशों ने अपहरण कर लिया। बदमाशों ने गिरीश और सतीश को तेजाब से नहला कर मार दिया था। जबकि इस मामले का चश्मदीद रहे राजीव किसी तरह बदमाशों की गिरफ्त से अपनी जान बचाकर भाग निकला। बाद में राजीव भाइयों के तेजाब से हुई हत्याकांड का गवाह बना। मगर 2015 में शहर के डीएवी मोड़ पर उसकी भी गोली मार कर हत्या कर दी गई। हत्या के महज 18 दिन पहले ही राजीव की शादी हुई थी। इस घटना के बाद पूरे शहर में हड़कंप मच गया था।