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नेहरू को कुम्भ स्नान के लिए करना पड़ा था सत्याग्रह

 

नेहरू जी का जन्म आज के प्रयागराज और तब कब इलाहाबाद में हुआ था उनका गंगा से प्रेम सर्वविदित हैं । जनवरी 1924 की बात हैं तब नेहरू राजनीति में नेहरू की ना के बराबर पकड़ थी उन्ही दिनों इलाहाबाद में कुंभ लगा हुआ था और संगम में ऐसी स्थिति की गंगा के कटाव से वहाँ स्नान करना खतरे से खाली नही था तब का स्थानीय प्रशासन चाहता तो सीमित संख्या में संगम में लोगो को स्नान करने की आज्ञा दे सकता था लेकिन दमन कारी नीति के कारण अंग्रेजी सरकार ने संगम में स्नान पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे की लोगों में बहुत ज्यादा आक्रोश आ गया था। पंडित मदन मोहन मालवीय ने इस पर तीखा विरोध जताते हुए कलेक्टर से संगम स्नान की आज्ञा माँगी जिसे मना कर दिया गया जिसके विरोध में मालवीय जी सत्याग्रह करने बैठ गए । नेहरू ने ये विरोध की खबरें समाचार पत्रों में पढ़ी थी वो भी कौतूहल वश वहाँ चले गए , संगम के पास घुड़सवार पुलिस के समूह खड़ा था और उसके पीछे लकड़ीयों का गट्ठर रख दिया गया ताकि कोई जा न सकें वही कई सत्याग्रही जमीन पर बैठे थे युवा नेहरू भी उनके साथ बैठ गए जब घंटो वहाँ बैठने का कोई नतीजा नही निकला तो नेहरू ने अगल बगल बैठें लोगों से बात कर चुपचाप लकड़ी के ढेर पर चढ़ दूसरी तरफ कूद सीधा संगम में स्नान को कूद गए । उनके देखा देखी कई लोग वैसी ही कोशिस करने लगे जिसमें बेहद कम सफल हुए क्योंकि तब अंग्रेजी पुलिस भी हरकत में आ गयी थी हालांकि वो ज्यादा बल का प्रयोग नही कर रहे थे। जब नेहरू स्नान कर निकले तो मालवीय जी भी बहुत फुर्ती से संगम तट पर पहुँच कर स्नान किया।
इस घटना के बाद किसी की गिरफ्तारी तो नही हुई क्योंकि की तब की अंग्रेजी सरकार मालवीय जी को गिरफ्तार नही करना चाहती इस प्रकार नेहरू भी सख्ती से बच गए । लेकिन उनके मन मे सत्याग्रह और अंग्रेजो के मनमाने कानून के प्रति एक अलग भावना जग गयी । इस घटना का पूरा वृतांत नेहरू जी अपने जीवनी मेरी कहानी में किया है ।

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