काशी मे ही आकर मोक्ष क्यों मिलता है
पदम पुराण में काशी क्षेत्र के 4 परिवारों का उल्लेख है जिनमें मरने से भिन्न भिन्न प्रकार की मुक्ति या मिलती हैं। सबसे बड़ा काशी क्षेत्र है, और सब के भीतर सबसे छोटा अंत गृह है। काशी क्षेत्र में मरने से सालोक्य मुक्ति वाराणसी क्षेत्र में सारूपय मुक्ति, अविमुक्त क्षेत्र में सायुज्य मुक्ति तथा अंत गृह में मरने से कैवल्य, अर्थात परम मुक्ति मिलती है। परंतु एक बात पर सभी पुराणों में बल दिया गया है कि काशी क्षेत्र में एहसास हुई की नोक भर भी स्थान नहीं है जहां मरने वाले को मोक्ष ना मिले।
इस रुद्रयातना को भोगने का केंद्र शमशान –स्तंभ या महासमशन–माना गया हैं, जो लाट भैरव क्षेत्र में है।
यही कारण है कि काशी वास के नियम इतने कड़े है कि उनके पालन करने से मनुष्य पापो से बच सकता हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि काशी में मरने से मोक्ष क्यों और कैसे मिलता हैं। इसका उत्तर यह है कि वहां भगवान शंकर सभी मरने वाले के कान में तारक मंत्र का उपदेश स्वयं करते हैं जिसके प्रभाव से वह ब्रह्मज्ञानी होकर मुक्ति प्राप्त करता है। स्वामी राम कृष्ण परमहंस को समाधि की अवस्था में मणिकर्णिका शमशान पर इसका प्रत्यक्ष अनुभव हुआ था, ऐसा वर्णन उनके वाक्य में मिलता है।
काशी में मारने वाला यमराज के नियंतरण में नहीं होता, अंतवे उसके पापो का दंड देने का अधिकार भैरव को है। इसी कारण इस दंड के कष्ट को भैरवी यातना कहा जाता है और उसको जीव रूद्र पिशाच होकर भोक्ता है । यह भैरवी यातना नर की यातना से कहीं अधिक दारुण होती है; परंतु पापों का दंड भोगने के बाद काशी में मरने के माहात्म्य से जी मुक्ति पाता ही है।
https://chatkhara.in/2021/01/why-do-you-get-salvation-by-coming-to-kashi/# sir isake baare me detail bata sakte hai ki char kshetra kaun sa area ko kaha gaya hai