होली के दिन इन 5 चीजों की करें खरीदारी, चमक जाएगी किस्मत
भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है। ब्रज की होली आज भी सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। बरसाने की लठमार होली काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी प्रकार मथुरा और वृंदावन में भी १५ दिनों तक होली का पर्व मनाया जाता है। कुमाऊँ की गीत बैठकी में शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। यह सब होली के कई दिनों पहले शुरू हो जाता है। हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा है। बंगाल की दोल जात्रा चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। जलूस निकलते हैं और गाना बजाना भी साथ रहता है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र की रंग पंचमी में सूखा गुलाल खेलने, गोवा के शिमगो में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन तथा पंजाब के होला मोहल्ला में सिक्खों द्वारा शक्ति प्रदर्शन की परंपरा है। तमिलनाडु की कमन पोडिगई मुख्य रूप से कामदेव की कथा पर आधारित वसंतोतसव है जबकि मणिपुर के याओसांग में योंगसांग उस नन्हीं झोंपड़ी का नाम है जो पूर्णिमा के दिन प्रत्येक नगर-ग्राम में नदी अथवा सरोवर के तट पर बनाई जाती है। दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के लिए होली सबसे बड़ा पर्व है, छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है और मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है भगोरिया, जो होली का ही एक रूप है। बिहार का फगुआ जम कर मौज मस्ती करने का पर्व है और नेपाल की होली में इस पर धार्मिक व सांस्कृतिक रंग दिखाई देता है। इसी प्रकार विभिन्न देशों में बसे प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग प्रकार से होली के शृंगार व उत्सव मनाने की परंपरा है जिसमें अनेक समानताएँ और भिन्नताएँ हैं।
होली से सम्बन्धित मुख्य कथा के अनुसार एक नगर में हिरण्यकश्यप नाम का दानव राजा रहता था। वह सभी को अपनी पूजा करने को कहता था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का उपासक भक्त था। हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को बुलाकर राम का नाम न जपने को कहा तो प्रहलाद ने स्पष्ट रूप से कहा, पिताजी! परमात्मा ही समर्थ है। प्रत्येक कष्ट से परमात्मा ही बचा सकता है। मानव समर्थ नहीं है। यदि कोई भक्त साधना करके कुछ शक्ति परमात्मा से प्राप्त कर लेता है तो वह सामान्य व्यक्तियों में तो उत्तम हो जाता है, परंतु परमात्मा से उत्तम नहीं हो सकता।
यह बात सुनकर अहंकारी हिरण्यकश्यप क्रोध से लाल पीला हो गया और नौकरों सिपाहियों से बोला कि इसको ले जाओ मेरी आँखों के सामने से और जंगल में सर्पों में डाल आओ। सर्प के डसने से यह मर जाएगा। ऐसा ही किया गया। परंतु प्रहलाद मरा नहीं, क्योंकि सर्पों ने डसा नहीं।
प्रह्लाद की कथा के अतिरिक्त यह पर्व राक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास और कामदेव के पुनर्जन्म से भी जुड़ा हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि होली में रंग लगाकर, नाच-गाकर लोग शिव के गणों का वेश धारण करते हैं तथा शिव की बारात का दृश्य बनाते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी खु़शी में गोपियों और ग्वालों ने रासलीला की और रंग खेला था।
होली के दिन इन 5 चीजों की करें खरीदारी, चमक जाएगी किस्मत
बताशे: बताशे खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं ।
मखाने: होली दिन मखाना खरीदे. मान्यता है कि, जिस तरह जल से मखाने की उत्पत्ति होती है उसी तरह लक्ष्मी जी की भी उत्पत्ति समुद्र से हुई है।
मिट्टी की सुराही: होली के दिन मिट्टी की सुराही खरीदकर इसे ईशाण कोण में रखें. इससे धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
नारियल: होली से पहले नारियल खरीदें और इसे होलिका की अग्नि में डाल दें. इससे बाधाएं दूर होती है।
शंख: होली के दिन मोती शंख खरीदकर घर पर रखें. इससे धन-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।
होलिका दहन पर जरूर करें ये 5 काम, दूर होगी सारी परेशानी
- होलिका दहन की रात एक शंख में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल में रख दें और अगले दिन सुबह अपने पूरे घर में इस गंगाजल का छिड़काव करें ।
- होलिका दहन वाले दिन सुबह 108 मखानों की एक माला बनाकर लक्ष्मी जी के मंदिर में जाकर चढ़ाएं।
- होली के दिन सवा किलो चावल की खीर बनाकर कुष्ठाश्रम में दान करें।
- होलिका दहन के समय एक सूखे गोले में बूरा भरकर उसे जलती हुई होलिका की अग्नि में रख दें।
- होलिका दहन के समय धन प्राप्ति की कामना करते हुए सफेद रंग की मिठाई जलती हुई अग्नि में रख दें।