कितना पैदल चलेंगे राहुल कांग्रेस की पदयात्रा में
कांग्रेस पार्टी की सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा अगले 150 दिनों में देश के 12 राज्यों और दो केंद्र-शासित प्रदेशों से गुज़र कर 3,570 किलोमीटर का सफर तय कर जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त होगी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस पदयात्रा की अगुवाई कर रहे हैं लेकिन साथ ही ये चर्चा भी चल रही है कि राहुल गांधी इस पूरी यात्रा में कितना पैदल चलेंगे?
29 अगस्त को इस यात्रा के बारे में की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से जब ये पूछा गया कि क्या राहुल गाँधी इस पूरी यात्रा में चलेंगे तो उन्होंने कहा था, “बिलकुल. वो पूरे रास्ते चलेंगे.” दिग्विजय सिंह ने साथ ही ये भी कहा था कि राहुल गाँधी बीच में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
नवंबर के महीने में हिमाचल प्रदेश और दिसंबर में गुजरात में विधान सभा चुनाव होने हैं
नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत में संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू होगा जो दिसंबर के अंत तक चलेगा।
तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा के रूट में गुजरात और हिमाचल प्रदेश दोनों ही शामिल नहीं हैं।
सवाल ये हैं कि अगर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पूरा रास्ता पैदल चल कर पूरा करेंगे तो क्या वो इन दोनों राज्यों में चुनाव प्रचार में शामिल नहीं हों पाएंगे? क्या इसका ये मतलब ये भी होगा कि वे संसद के शीतकालीन सत्र में हिस्सा नहीं लेंगे?
कांग्रेस नेताओं के अनुसार “वे पूरे रास्ते चलने वाले हैं. यही तय किया गया है. जहां तक चुनाव प्रचार की बात है तो हो सकता है कि वे कुछ घंटों के लिए जाएं और फिर वापस आ जाएं.”
संसद सत्र का क्या, इस सवाल पर भी उनका कहना है
,”हमने पूरे रास्ते चलने का फैसला किया है.”
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत से पहले राहुल गांधी में बार-बार ये बात कही कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को संसद में अपनी बात रखने नहीं दिया जा रहा है और इसीलिए अब वो सीधे जनता के बीच अपनी बात रखने और जनता की बात सुनने जा रहे हैं।
कांग्रेस से मिल रहे संकेतों को मानें तो शीतकालीन संसद सत्र में शिरकत करना राहुल गांधी की मुख्य प्राथमिकता नहीं होगी.
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार जहां तक चुनाव प्रचार की बात है, राहुल गांधी गुजरात और हिमाचल प्रदेश दोनों जगह चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे।
कांग्रेस के एक नेता ने आफ द रिकार्ड कहा, “ऐसा हो सकता है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बीच में कुछ समय के लिए राहुल गांधी यात्रा छोड़कर चुनाव प्रचार के लिए जाएं. लेकिन जब ऐसा होगा तो यात्रा उसी जगह पर रुक जाएगी जहां तक राहुल गांधी उसमें शामिल रहे होंगे. चुनाव प्रचार से निपटकर वे वापस उसी जगह पहुंचेंगे और यात्रा फिर से शुरू होगी.”
इससे इंकार नहीं किया जा सकता की राहुल गांधी इस यात्रा का चेहरा हैं और इस यात्रा की सफलता इस बात पर काफी हद तक निर्भर करती है कि वे इस यात्रा में कितना दिखाई देते हैं।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “हमें उम्मीद है कि हज़ारों की संख्या में लोग इस यात्रा से जुड़ेंगे. लेकिन साथ ही साथ हम ये भी समझते हैं कि आम जनता के लोग इस यात्रा में शामिल होंगे तो राहुल गाँधी को देखना और सुनना ज़रूर चाहेंगे.”
भारतीय राजनीति में पदयात्रा का लंबा इतिहास रहा है इसके फायदे भी होते रहे हैं बशर्ते राहुल और कांग्रेस के नेता अपने बयानों में थोड़ी परिपक्वता और सहजता लाए तो इस पदयात्रा का फायदा मिल सकता हैं।