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लेखनी में मेरी आत्मा बस्ती हैं : धीरज मिश्रा

लेखक – निर्देशक और निर्माता धीरज मिश्रा अपनी ताजा फिल्म ” लफ्जो में प्यार” के बारे में.
°आप तो बायोपिक फिल्में बनाते थे अचानक प्रेम कहानी ?
मेरी शुरूआत बायोपिक फिल्मों से हुई लेकिन मैं हमेशा कुछ पिछले से अलग करना चाहता हूं । यही कारण है की मेरी नई फिल्म “लफ्जों में प्यार ” एक प्रेम कहानी हैं।

°इस फिल्म को आपने निर्देशित भी किया हैं वैसे संतुष्टि कहां मिलती हैं?
निश्चित रूप से लेखन में ही मेरी आत्मा बसती हैं लेकिन निर्देशन का अपना अलग मजा हैं वैसे इस फिल्म में निर्देशन में मेरे साथ राजा रणदीप गिरी भी हैं।

° आप कहते हैं है फिल्म की प्रेरणा होती है इस फिल्म की प्रेरणा क्या हैं?
मैने काफी पहले “पतझड़ और बहार” उपन्यास लिखा था अभी हाल में ही मशहूर शायर अशोक साहनी साहिल जी की शायरियाँ पढ़ी ,लगा की मेरे सामने एक अद्भुत अदृश्य संसार चल रहा हैं और लफ्जों में प्यार का जन्म हुआ वैसे आप कह सकते हैं की साहिल साहब की शायरियां मेरे प्रेरणा श्रोत बने।

फिल्म की खासियत क्या हैं?
लफ्जो में प्यार मानवीय रिश्तों पर आधारित हैं जिसे खास अशोक साहनी साहिल की शायरियां बनाती हैं। जिसे हर उम्र के लोग पसंद करेंगे।
° पटकथा लिखने के बाद कलाकारों का चयन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ,उनके चयन का मुख्य आधार क्या होता हैं ?
हर पटकथा अपने लिए खुद ही कलाकारों का चयन करवाते जाती हैं लिखते वक्त ही अक्सर मेरे दिमाग में उस पात्र की एक खास छवि बन जाती हैं जिससे कलाकारों का चयन आसान हो जाता हैं।

° फिल्म में कई अनीता राज, जरीना वहाब ,ललित परिमु और मीर सरवर जैसे दिग्गज कलाकार थे इनका दवाब आपने ऊपर महसूस किया ?
ये बेहद सहज कलाकार हैं ये आपसे ऐसा बर्ताव करते हैं ये बिलकुल नए हैं ये बड़प्पन आपको इनका मुरीद बना देता हैं फिर दबाव नहीं अपनापन महसूस होता हैं।

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