नहीं रहे गजोधर भैया ….कानपुर के सत्य प्रकाश श्रीवास्तव से राजू श्रीवास्तव का सफ़र
मशहुर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का 58 साल की उम्र में निधन हो गया। राजू को 10 अगस्त को जिम करते हुए हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया था। इलाज के दौरान राजू की हालत स्थिर हुई, लेकिन फिर बिगड़ गई। एक महीने से ज्यादा समय तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद आखिरकार आज कॉमेडियन ने आखरी साँसे ली ।
राजू श्रीवास्तव देश के जानेमाने और पसंदीदा कॉमेडियन में से एक थे। कभी इन्होंने रियलिटी शो में बेहतरीन परफॉर्मेंस देकर लोगों को गुदगुदाया, तो कहीं फिल्मों के जरिए लोगों को मनोरंजन किया। राजू भले ही एक सफल कामेडियन रहे, लेकिन इनका शुरुआती करियर बेहद संघर्षों भरा रहा।
राजू श्रीवास्तव का असली नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1963 को कानपुर के नयापुरवा में हुआ था। उन्होंने 1993 में हास्य की दुनिया में कदम रखा। 1980 में वे कानपुर से मुंबई के लिए भागे थे। अपने घर की दीवार फांदकर पड़ोसी के घर में कूदे और वहां से सीधे मुंबई भाग गए। उनके पड़ोसियों ने बताया कि चिल्लाते हुए गए थे कि अब नाम कमाकर ही लौटूंगा।
इनके पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव एक सरकारी कर्मचारी थे और शौकिया तौर पर कविताएं लिखा करते थे। छुट्टियों में पिता कवि सम्मेलन का हिस्सा बना करते थे, जिन्हें बलाई काका नाम से पहचाना जाता था।
पिता से राजू को भी लोगों का मनोरंजन करने का गुर विरासत में मिला। बचपन से ही राजू घर आए मेहमानों के सामने मिमिक्री करते और स्कूल में टीचर की भी नकल उतारकर लोगों को खूब हंसाते। कई टीचर उन्हें बद्तमीज कहते हुए सजा देते थे, लेकिन एक टीचर ऐसे भी थे जो इन्हें बढ़ावा दिया और कॉमेडी में करियर बनाने की सलाह दी।
लोगों ने राजू को लोकल क्रिकेट मैच में कमेंट्री करने की सलाह दी। इससे ये अपने हुनर को कॉन्फिडेंट के साथ लोगों के सामने पेश करने लगे। ये बचपन से ही कॉमेडियन बनना चाहते थे, लेकिन असल में इनकी प्रेरणा अमिताभ बच्चन थे। बिग बी की फिल्म दीवार देखने के बाद राजू ने एक्टर बनने का फैसला किया।
राजू बचपन से ही एक्टिंग और कॉमेडी में हाथ आजमाना चाहते थे, जिसके लिए वो 1982 में लखनऊ छोड़कर सपनों के शहर मुंबई चले आए। यहां ना रहने को घर था ना खाने के पैसे। घर से भेजे गए पैसे जब कम पड़ने लगे तो राजू ऑटो ड्राइवर बन गए। राजू अपनी सवारी को भी हंसाते थे। मुंबई में राजू को करीब 4-5 सालों तक संघर्ष करना पड़ा था।
एक दिन एक सवारी ने राजू के स्टाइल से इंप्रेस होकर उन्हें स्टेज परफॉर्मेंस देने को कहा। राजू मान गए और परफॉर्मेंस दी, जिसके लिए सिर्फ 50 रुपए मिले थे। इसके बाद राजू लगातार स्टेज शो करने लगे।
स्टेज शो करते हुए राजू श्रीवास्तव अमिताभ बच्चन की भी नकल उतारा करते थे। यहीं से लोगों ने उनके लुक की तुलना अमिताभ बच्चन से करना शुरू कर दी।
स्टेज शो करते हुए इंडस्ट्री के लोगों से जान-पहचान बढ़ी तो इन्हें फिल्मों में छोटे-मोटे रोल भी मिलने लगे। राजू पहली बार 1988 की फिल्म तेजाब में नजर आए। आगे उन्होंने करीब 19 फिल्मों में काम किया। जिनमे मैंने प्यार किया और मै प्रेम की दीवानी हूँ जैसी फिल्मे शामिल है।
राजू श्रीवास्तव सबसे पहले साल 1994 के शो टी टाइम मनोरंजन में नजर आए थे। इसके बाद उन्होंने द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के पहले सीजन में पार्टिसिपेट किया। इस शो में राजू ने तीसरा स्थान हासिल किया, जिससे इन्हें देशभर में पहचान मिल गई। इसके बाद राजू कॉमेडी का महा मुकाबला, कॉमेडी सर्कस, देख भाई देख, लाफ इंडिया लाफ, कॉमेडी नाइट विद कपिल, द कपिल शर्मा शो और गैंग्स ऑफ हसीपुर जैसे शोज का हिस्सा रहे।
भाजपा ज्वाइन करने से पहले साल 2014 में राजू श्रीवास्तव को समाजवादी पार्टी की तरफ से लोकसभा चुनाव का टिकट मिला था, लेकिन उन्होंने कुछ समय बाद ही टिकट लौटा दिया। राजू ने कहा कि उन्हें लोकल पार्टी यूनिट से सपोर्ट नहीं मिला। इसके बाद इसी साल राजू भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।