सांप-सीढ़ी एक प्राचीन खेल है जिसका आविष्कार भारत में हुआ था। इसे मूल रूप से “मोक्षपट” या “परमपद सोपान” कहा जाता था। इस खेल का निर्माण धार्मिक और नैतिक शिक्षा देने के उद्देश्य से किया गया था।
इतिहास और उत्पत्ति
सांप-सीढ़ी का सबसे पहला उल्लेख 13वीं शताब्दी में मिलता है। इसे संत ज्ञानदेव या संत नामदेव द्वारा विकसित किया गया माना जाता है। बाद में, यह खेल अलग-अलग नामों और रूपों में भारत में प्रचलित हुआ। मूल खेल में सीढ़ियाँ अच्छे कर्मों (सद्गुणों) को दर्शाती थीं, जबकि सांप बुरे कर्मों (दुर्गुणों) को प्रतीकात्मक रूप से प्रस्तुत करते थे।
ब्रिटिश शासन के दौरान, इस खेल को इंग्लैंड ले जाया गया और वहाँ “स्नेक्स एंड लैडर्स” (Snakes and Ladders) नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाद में, यह पूरी दुनिया में बच्चों और बड़ों के लिए मनोरंजक खेल के रूप में लोकप्रिय हो गया।
खेल का उद्देश्य और महत्व
यह खेल न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि नैतिक शिक्षा देने का भी एक माध्यम है। इसमें यह सिखाया जाता है कि जीवन में अच्छे कर्म करने से सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा जा सकता है (सीढ़ियाँ), जबकि बुरे कर्म इंसान को नीचे गिरा सकते हैं (सांप)।
निष्कर्ष
सांप-सीढ़ी का आविष्कार भारत में हुआ था और यह केवल एक खेल नहीं, बल्कि जीवन के मूल्यों और शिक्षाओं को दर्शाने का एक साधन भी था। समय के साथ, यह खेल विभिन्न संस्कृतियों में अपनाया गया और आज भी पूरी दुनिया में इसे खेला जाता है।
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