जॉली एलएलबी 3 : हंसी, व्यंग्य और संवेदना का कोर्टरूम संगम

‘जॉली एलएलबी 3’ एक ऐसी फिल्म है जो मनोरंजन और सामाजिक संदेश के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है। इस बार निर्देशक सुभाष कपूर ने पुराने विवाद को खत्म कर दिया है और अक्षय कुमार व अरशद वारसी दोनों को एक ही फ्रेम में उतारकर फिल्म को और रोचक बना दिया है।

कहानी एक किसान परिवार के संघर्ष से जुड़ी है, जहां जमीन बचाने की जद्दोजहद अंततः किसान की आत्महत्या तक पहुँचती है। विधवा (सीमा बिस्वास) का न्याय की लड़ाई ही फिल्म की रीढ़ बनती है। कोर्टरूम में जॉली मिश्रा (अक्षय कुमार) और जॉली त्यागी (अरशद वारसी) की टक्कर फिल्म में हंसी और व्यंग्य का तड़का लगाती है, और जब दोनों साथ आते हैं तो बहस और भी मजेदार हो जाती है।

अभिनय:

अक्षय कुमार अपने किरदार को ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ निभाते हैं।

अरशद वारसी हमेशा की तरह सहज और नैचुरल लगते हैं।

सीमा बिस्वास भावनात्मक गहराई से दिल छू लेती हैं।

सौरभ शुक्ला जज त्रिपाठी के रूप में संतुलन और मनोरंजन देते हैं।

राम कपूर मजबूत और धारदार वकील के रूप में प्रभावित करते हैं।

गजराज राव भ्रष्ट नेता के रूप में फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं।

शिल्पा शुक्ला असरदार रहती हैं, जबकि अमृता राव और हुमा कुरैशी सिर्फ नाम भर को मौजूद हैं।

कमज़ोरियां:
फिल्म में कुछ दृश्य ज़रूरत से ज़्यादा ओवरड्रामेटिक लगते हैं, जिससे उनकी वास्तविकता फीकी पड़ जाती है। इसके अलावा, महिला किरदारों को बहुत ही कमजोर ढंग से लिखा गया है। फिल्म का संगीत भी अपेक्षा के अनुरूप असरदार नहीं है।

निष्कर्ष:
‘जॉली एलएलबी 3’ आपको हंसाती भी है, सोचने पर मजबूर भी करती है और किसानों के मुद्दे को संवेदनशील अंदाज में सामने रखती है। अक्षय–अरशद की जोड़ी, सीमा बिस्वास की गहराई और गजराज राव का दमदार अभिनय इसे देखने लायक बनाते हैं। हालांकि, ओवरड्रामेटिक सीन्स और फीका संगीत इसकी चमक थोड़ी कम कर देते हैं।

⭐️⭐️⭐️ (3/5 सितारे)

👉 अगर आप कोर्टरूम ड्रामा, व्यंग्य और समाज से जुड़े मुद्दों का मेल देखना चाहते हैं, तो ‘जॉली एलएलबी 3’ आपके लिए सही फिल्म है।

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