क्या डिग्री अब ज़रूरी नहीं?

क्या डिग्री अब ज़रूरी नहीं? बदलते दौर में स्किल वाले युवाओं की मांग बढ़ी, पर रास्ता इतना आसान भी नहीं
नई दिल्ली: कभी कॉलेज की डिग्री को अच्छी नौकरी की अनिवार्य शर्त माना जाता था। बिना डिग्री वाले युवाओं को मजबूत करियर बनाना कठिन माना जाता था। लेकिन बदलते दौर में यह धारणा तेजी से बदल रही है। आज मार्केटिंग, प्रोडक्शन मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन, डिजाइनिंग और प्रोग्रामिंग जैसे क्षेत्रों में बिना डिग्री वाले युवा भी डिग्रीधारकों को चुनौती दे रहे हैं।

डिजिटल स्किल्स और AI टूल्स के बढ़ते इस्तेमाल ने नौकरी पाने के रास्ते बिल्कुल नए बना दिए हैं। कई युवा सवाल पूछ रहे हैं—क्या कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर सीधे जॉब मार्केट में कूद जाना बेहतर होगा?

डिग्री की गिरती ताकत और स्किल का बढ़ता मूल्य
कई बड़ी कंपनियाँ हायरिंग में अब डिग्री को अनिवार्य नहीं मान रहीं। जॉब पोस्टिंग में साफ लिखा जा रहा है—“Degree not required.”
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क तक कह चुके हैं कि “किसी के पास डिग्री है या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता। काम करने की क्षमता मायने रखती है।”

अकादमिक विशेषज्ञ मानते हैं कि कॉलेजों का पाठ्यक्रम आज की बाजार जरूरतों से मेल नहीं खाता। वहीं कंपनियों को ऐसे कर्मचारी चाहिए जो तुरंत काम शुरू कर सकें।

उच्च शिक्षा महंगी, जोखिम भरी और कई जगह अप्रासंगिक
भारत में आर्ट्स और सोशल साइंस जैसे कोर्स किफ़ायती तो हैं, लेकिन इनसे तुरंत नौकरी मिलना मुश्किल माना जाता है।
वहीं साइंस और टेक्नोलॉजी की डिग्रियाँ लाखों रुपये की फीस के साथ आती हैं। कई छात्र इसके लिए भारी शिक्षा ऋण (Education Loan) लेते हैं, जिसे चुकाने में वर्षों लग जाते हैं।

यही वजह है कि एक बड़ा वर्ग यह सोचने लगा है कि क्या कॉलेज में कई साल खर्च करने के बजाय सीधे काम शुरू करना बेहतर रहेगा?

पर क्या डिग्री छोड़ देना आसान समाधान है?
विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह रास्ता उतना सरल नहीं जितना लगता है।

ऊँचे पदों पर डिग्री अभी भी मायने रखती है
विदेश में काम करने के लिए भी शैक्षणिक योग्यता जरूरी रहती है
बिना डिग्री वाले युवाओं को शुरुआती जॉब तो मिल जाती है, लेकिन आगे की ग्रोथ कई बार रुक जाती है
कुल मिलाकर, स्किल्स महत्वपूर्ण हैं, लेकिन डिग्री पूरी तरह अप्रासंगिक नहीं हुई है।

भारत में नौकरी ढूँढना इतना कष्टकारी क्यों?
भारत की बेरोजगारी दर दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है। सबसे बड़ी समस्या है स्किल गैप—
कंपनियों को जिस गुणवत्ता के लोग चाहिए, वे मिलते नहीं।
डिग्रीधारी पूर्ण क्षमता से तैयार नहीं होते, वहीं स्किल्ड युवा पर्याप्त संख्या में नहीं हैं।

ग्रेजुएट बेरोजगारी दर भारत में 7.1% है—जो वैश्विक मानकों के मुकाबले अधिक है।
चौंकाने वाली बात यह है कि कभी जिस डिग्री को नौकरी की गारंटी माना जाता था, आज वही डिग्रीधारी युवाओं को भी बेरोज़गारी झेलनी पड़ रही है।

क्या नौकरी करते हुए AI और ट्रेनिंग से करियर बन सकता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह मॉडल तेजी से लोकप्रिय हो रहा है:
एंट्री-लेवल जॉब + ऑनलाइन स्किल ट्रेनिंग + AI टूल्स
यह रास्ता युवाओं को 1–2 साल में बेहतर अवसर दिलाने में सक्षम साबित हो रहा है।

Google, Meta और कई अंतरराष्ट्रीय प्लेटफ़ॉर्म्स सस्ते और उद्योग-मान्य प्रमाणपत्र दे रहे हैं, जिन्हें कंपनियाँ स्वीकार करती हैं।

अंत में, समाधान क्या है?
विश्लेषकों का मानना है कि युवाओं के लिए सबसे बेहतर मॉडल है—
डिग्री और स्किल दोनों का संतुलन।

ऐसा मॉडल जिसमें

पार्ट-टाइम कॉलेज
साथ में जॉब
और आधुनिक AI व डिजिटल स्किल्स
साथ-साथ चलें,
वही भविष्य साबित हो सकता है।

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