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नही रहे भारत एक खोज के संगीत के रचयिता वनराज भाटिया

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 93 वर्षीय प्रसिद्ध संगीतकार वनराज भाटिया का आज मुंबई में निधन हो गया। भाटिया हिंदुस्तानी और पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत दोनो में गहरी पकड़ रखते थे । श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत करने वाले वनराज भाटिया देश के पहले संगीतकार रहे जिन्होंने विज्ञापन फिल्मों के लिए अलग से संगीत रचने की शुरूआत की।
फिल्मों के साथ उन्होंने कई कालजयी धारावाहिकों के लिए अपना संगीत दिया । भारत एक खोज की संगीत के लिए उन्हें घर घर जाने जाना लगा था।

कुछ साल पहले उनके आर्थिक समस्या से जूझने की ख़बर आयी थी तब कई लोगों ने उनकी मदद की थी और अमीर खान ने उनकी मदद करने के लिए उनकी बायोग्राफी लिखवाने का एलान किया था ।
उनके फिल्मी संगीत के बारे में बात की जाए तो
मंथन’, ‘भूमिका’, ‘जाने भी दो यारों’, ’36 चौरंगी लेन’ और ‘द्रोहकाल’ जैसी फिल्मों से वह हिंदी सिनेमा में काफी तारीफ पाए । भाटिया को 1988 में टेलीविजन पर रिलीज हुई फिल्म ‘तमस’ के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके अलावा सृजनात्मक व प्रयोगात्मक संगीत के लिए 1989 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें 2012 में पद्मश्री पुरस्कार दिया था।
उन्हें भारतीय सिनेमा में अपने अलग तरह के संगीत के लिए हमेशा याद किया जाएगा ।

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